यूपी में धान की रिकार्ड खरीद से नया संकट, भंडारण के लिए विकल्पों की तलाश
उत्तर प्रदेश न्यूज21संवाददाता
एक तरफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून बनाने समेत कई मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। दूसरी तरफ यूपी में एमएसपी पर धान की भारी खरीद के कारण नया संकट पैदा हो गया है। यूपी सरकार भंडारण क्षमता से ज्यादा धान की खरीद कर चुकी है। जबकि अभी फरवरी यानी एक महीने से ज्यादा समय तक खरीद और होनी है। उसके बाद अप्रैल से गेहूं की भी खरीद शुरू होती है। ऐसे में सरकार भंडारण के लिए नए विकल्पों पर विचार कर रही है। अधिकारी अब इस कोशिश में जुटे हैं कि अतिरिक्त धान को रखने के लिए जगह कैसे बनाई जाए। खाद्य आयुक्त मनीष चौहान भंडारण क्षमता कम होने की बात स्वीकार तो करते हैं लेकिन यह भी कहते हैं कि कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सीजन समाप्त होने तक खरीद चलती भी रहेगी।
उन्होंने कहा कि हमने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से अनुरोध कर सकते हैं कि वह अपने गोदामों से चावल दूसरे राज्यों में ले जाएं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत लाभार्थियों को दो महीने का चावल एक बार में ही देने पर भी विचार कर रहे हैं। चौहान के अनुसार यूपी में हर महीने लाभार्थियों को 8 लाख मीट्रिक टन चावल का वितरण होता है। खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 11 लाख किसानों से 10274 करोड़ रुपये से 57 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद हो चुकी है। जबकि यूपी में 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का ही लक्ष्य रखा गया था। अधिकारियों का मानना है कि सीजन के अंत तक लगभग 70 लाख मीट्रिक टन खरीद हो सकती है। पिछले वर्ष इस समय तक लगभग 45 लाख मीट्रिक टन खरीद हुई थी।
मनीष चौहान के अनुसार पिछले साल सीजन खत्म होने तक 56.6 लाख मीट्रिक टन खरीद हुई थी। जो अब तक की सबसे ज्यादा थी। इस बार उससे ज्यादा खरीद बीच सीजन में ही हो चुकी है। असली समस्या यह है कि यूपी में भंडारण क्षमता करीब 50 लाख मीट्रिक टन के आसपास है। ऐसे में चावल या धान को रखने के कारण क्षमता 40 लाख मीट्रिक टन के आसपास कम हो जाती है। इस बार खरीद पहले ही इससे कहीं ज्यादा हो चुकी है। इससे सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हमें धान या चावल का भंडारण गेहूं से अलग तरीके से करना होता है। चावल को खुले में नहीं रखा जा सकता है। फिलहाल हम चावल के सुरक्षित भंडारण के लिए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। सरकार को तत्काल कोई समाधान खोजना होगा। खुद खाद्य और आपूर्ति विभाग देख रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में अधिकारियों को किसानों से एमएसपी पर खरीदे जा रहे चावल के सुरक्षित भंडारण का निर्देश दिया था।
धान के एमएसपी और बाजार रेट में भारी अंतर
धान के एमएसपी और बाजार रेट में भारी अंतर है। यही कारण है कि किसान अपना ज्यादा से ज्यादा धान सरकारी खरीद केंद्रों पर बेचना चाह रहे हैं। इसके साथ ही किसानों के आंदोलन के कारण भी सरकार तेजी से खरीद कर रही है।
खाद्य आयुक्त मनीष चौहान ने कहा कि इस साल एमएसपी का मूल्य बाजार में मिल रही कीमतों से बहुत ज्यादा है। एमएसपी और बाजार रेट में करीब 4 से 5 सौ रुपये क्विंटल का अंतर है। सूत्रों के अनुसार पहले यह अंतर बहुत कम था। इससे एमएसपी ज्यादा होने के बाद भी कई किसान अपनी उपज को बाजार के व्यापारियों को बेच देते थे। ताकि उपज को सरकारी खरीद केंद्रों तक ले जाने वाली दिक्कतों से निजात मिल सके। यह भी माना जा रहा है कि कोरोना के कारण केंद्र सरकार की ओर से नौ महीनों तक गरीबों को खाद्यान्न मुफ्त देने के कारण भी बाजार की मांग को खत्म कर दिया है। इससे भी बाजार में खाद्यान्न के दाम गिरे हैं।

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