नगर पालिका की व्यवस्था चरमराई अलाव हुए नदारद
नगर पालिका की व्यवस्था चरमराई अलाव हुए नदारद
गलन भरी शीत लहर का प्रकोप जारी जनजीवन प्रभावित
औरैया। शीत लहर का प्रकोप तेजी से बढ रहा हैं। ऐसे मौसम में नगर पालिका परिषद की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। शहर के विभिन्न चिन्हित स्थानों पर अलाव नदारद है। नगर पालिका परिषद के अधिकारी मूकदर्शक व तमाशाई बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें जनता जनार्दन से कोई सरोकार नहीं है। गलन भरी सर्दी में जहां पशु-पक्षी बेहाल है, वही शीतलहर के चलते जनजीवन अस्त- व्यस्त होते हुए प्रभावित हो गया है। गलन भरी सर्दी के कारण यातायात ठहर सा गया है। लोग अपने घरों के अंदर ही शरण ले रहे हैं। वही रोजी-रोटी कमाने के लिए दुकानदार गलन भरी सर्दी में दुकानों पर आये और ग्राहकों के इंतजार में ठिठुरते नजर आये। नगर पालिका अध्यक्ष एवं प्रतिनिधि द्वारा अलाव के इंतजाम हमेशा किए जाते रहे हैं, लेकिन अब ऐसे दौर में जब प्रशासनिक अधिकारी नगर पालिका के कामकाज को देख रहे हैं तो सभी व्यवस्थाएं ध्वस्त होती देखी जा सकती हैं। शीतलहर के चलते जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है।
नगर पालिका परिषद द्वारा पालिका अध्यक्ष एवं प्रतिनिधि द्वारा हमेशा ठंड से बचाने के लिए चिन्हित स्थानों पर अलाव की व्यवस्था सुगमता पूर्वक चलाई जाती थी। इसके लिए अध्यक्ष एवं प्रतिनिधि हर संभव प्रयास के द्वारा जनमानस के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अलाव की व्यवस्था करा देते थे। खास तौर पर शहर के विभिन्न स्थानों के अलावा सुभाष चौक एवं जिला संयुक्त चिकित्सालय के बाहर एवं अंदर अलाव की व्यवस्था हो जाती थी। जिससे आने- जाने वाले लोगों के अलावा मरीजों के तामीरदार रात के समय में आग का सहारा लेकर रात गुजार देते थे। अब देखा जा सकता है कि राहगीर एवं तीमारदार किस प्रकार से शीतलहर को झेलते हुए हतोत्साहित हो रहे हैं। नगर पालिका प्रशासन के अधिकारी मूकदर्शक एवं तमाशाई बने हुए हैं। शहर के संभ्रांत,वरिष्ठ एवं बुद्धिजीवियों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को जनता जनार्दन की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रह गया है। जिसके चलते शीत लहर होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी अलाव जलवाने में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। इतना ही नहीं जनमानस से लेकर पशु-पक्षियों का भी हाल बेहाल है। बेजुबान मवेशी जो सड़कों पर विचरण करते रहते हैं, वह भी आग का सहारा लेकर अलाव के पास खड़े हो जाते थे और राहत महसूस करते थे। अब देखा जाए तो यह मवेशी चिन्हित स्थानों पर राख के ढेर पर खड़े दिखाई देते हैं, लेकिन बेजुबान गोवंशो को आग का कोई सहारा नहीं मिलता है। शीतलहर के चलते जनजीवन पूरी तरह से ठहर सा गया है। लोग अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं। रोजी-रोटी कमाने के लिए दुकानदार बाजारों में अपनी दुकानों पर आये, लेकिन ग्राहकों के नहीं आने से वह गलन भरी सर्दी में ठिठुरते देखे गये। इस संबंध में जब नगर पालिका परिषद के अधिशाषी अभियंता राम आसरे कमल से जानकारी करने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल नंबर स्विच ऑफ बताता रहा।
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