आर्थिक गणना: आमदनी नहीं बता रहे लोग, एनुमिरेटर कर रहे दिक्कतों का सामना
आर्थिक गणना: आमदनी नहीं बता रहे लोग, एनुमिरेटर कर रहे दिक्कतों का सामना
औरैया में आर्थिक गणना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन फिर भी संगणक संकटो से जूझ कर डेटा इकट्ठा कर रहे है जिसमे सभासद चैयरमैन ग्राम प्रधान संगणकों का सहयोग भी नही कर रहे उल्टा ये बोल रहे 7th जनगणना की हमे कोई जानकारी नही लेकिन औरैया जिले के सीएससी प्रवन्धक आनंद सोनी और
प्रवीन कुमार ,अनुज सभी सुपरवाइजर और ऑपरेटर का हर संभव मदद कर रहे है जागरूकता के अभाव के चलते लोग आर्थिक गणना के दौरान कारोबार संबंधी विस्तृत जानकारी देने से कतरा रहे हैं। साथ ही गणना के लिए कर्मचारियों को कम भुगतान और तकनीकी दिक्कतें भी गणना में परेशानी बन रही हैं। भारत सरकार ने इस बार आर्थिक गणना का काम कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को दिया है। हर सीएससी के अधीन कुछ वार्ड दिए गए हैं, जहां सीएससी संचालक अपनी टीम भेजकर आंकड़ेइकट्ठा करा रहे हैं। औरैया में यह काम खासा दिक्कत भरा साबित होते हुए भी संगणक डाटा इकट्ठा कर रहे है और आंकड़े जुटाने के लिए घर-घर जा रहे कर्मचारियों को कई जगह से बैरंग लौटना पड़ रहा है।
दरअसल, गणना में लगे कर्मचारियों को लोगों से उनके कारोबार के बारे में विस्तृत जानकारी लेनी है। इसमें कारोबार संचालक का पैन नंबर, जीएसटी नंबर, टर्नओवर, कर्मचारियों की संख्या, लोन का प्रकार आदि विवरण शामिल हैं। साथ ही घर में कितने लोग
रह रहे हैं? घर में रसोई कितनी हैं, जैसी भी जानकारी जुटाई जानी है। सीएससी संचालकों का कहना है कि लोगों को इस गणना की बहुत कम जानकारी है। इसके चलते लोग अपने कारोबार से जुड़ी जानकारियां देने से कतरा रहे हैं। दिबियापुर नगर क्षेत्र में आर्थिक सर्वे का काम करा रहे सीएससी संचालक आदित्य शर्मा के मुताबिक कर्मचारियों को जिला प्रशासन की तरफ से अपील भी दी गई है लेकिन लोग इस पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। इस कारण कई बार गणना का काम रोकना पड़ रहा है।
लोगों में जागरूकता का अभाव
सीएससी के जिला प्रवन्धक अनुज ने बताया कि लोग जानकारी के अभाव में सहज सूचना नहीं दे रहे। सर्वे कार्य 30 मार्च तक सर्वे पूरा किया जाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल जनगणना का कार्य जारी है
वृहद और प्रभावी विकास योजना बनाने के लिए जरूरी है आर्थिक गणना
आर्थिक गणना के तहत रेहड़ी, पटरी पर होने वाले कारोबार समेत देश की भौगोलिक सीमा में स्थित सभी व्यावसायिक इकाइयों/प्रतिष्ठानों की गिनती की जाती है। इससे कारोबारी प्रतिष्ठान की आर्थिक गतिविधियों, मालिकाना हक, इसमें लगे लोगों आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इसके जरिए प्राप्त सूचना सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए वृहद योजना बनाने में उपयोगी साबित होती है। कृषि क्षेत्र के अलावा आर्थिक गणना में घरों में चल रहे छोटे उद्यम, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन या वितरण कार्य में लगी इकाइयों समेत सभी प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं
If You have any doubts, Please let me know